लूंट की निशानी – कुरान | लूत की निशानी – तौरात उत्पत्ति 19 |
सूरत 7: 80-83 (हाइट्स) और हमने लूत को भेजा। जब उसने अपनी क़ौम से कहा, “क्या तुम वह प्रत्यक्ष अश्लील कर्म करते हो, जिसे दुनिया में तुमसे पहले किसी ने नहीं किया?” 80 Share तुम स्त्रियों को छोड़कर मर्दों से कामेच्छा पूरी करते हो, बल्कि तुम नितान्त मर्यादाहीन लोग हो। 81 Share उसकी क़ौम के लोगों का उत्तर इसके अतिरिक्त और कुछ न था कि वे बोले, “निकालो, उन लोगों को अपनी बस्ती से। ये ऐसे लोग हैं जो बड़े पाक-साफ़ हैं!” 82 Share फिर हमने उसे और उसके लोगों को छुटकारा दिया, सिवाय उसकी स्त्री के कि वह पीछे रह जानेवालों में से थी। 83 और हमने उनपर एक बरसात बरसाई, तो देखो अपराधियों का कैसा परिणाम हुआ। 84 सूरत 11: 77-83 (द हड) और जब हमारे दूत लूत के पास पहुँचे तो वह उनके कारण अप्रसन्न हुआ और उनके मामले में दिल तंग पाया। कहने लगा, “यह तो बड़ा ही कठिन दिन है।” 77 उसकी क़ौम के लोग दौड़ते हुए उसके पास आ पहुँचे। वे पहले से ही दुष्कर्म किया करते थे। उसने कहा, “ऐ मेरी क़ौम के लोगो! ये मेरी (क़ौम की) बेटियाँ (विधिवत विवाह के लिए) मौजूद हैं। ये तुम्हारे लिए अधिक पवित्र हैं। अतः अल्लाह का डर रखो और मेरे अतिथियों के विषय में मुझे अपमानित न करो। क्या तुममें एक भी अच्छी समझ का आदमी नहीं?”78 उन्होंने कहा, “तुझे तो मालूम है कि तेरी बेटियों से हमें कोई मतलब नहीं। और हम जो चाहते हैं, उसे तू भली-भाँति जानता है।” (7 उसने कहा, “क्या ही अच्छा होता मुझमें तुमसे मुक़ाबले की शक्ति होती या मैं किसी सुदृढ़ आश्रय की शरण ही ले सकता।” 80 उन्होंने कहा, “ऐ लूत! हम तुम्हारे रब के भेजे हुए हैं। वे तुम तक कदापि नहीं पहुँच सकते। अतः तुम रात के किसी हिस्से में अपने घरवालों को लेकर निकल जाओ और तुममें से कोई पीछे पलटकर न देखे। हाँ, तुम्हारी स्त्री का मामला और है। उसपर भी वही कुछ बीतनेवाला है, जो उनपर बीतेगा। निर्धारित समय उनके लिए प्रातःकाल का है। तो क्या प्रातःकाल निकट नहीं?” 81 फिर जब हमारा आदेश आ पहुँचा तो हमने उसको तलपट कर दिया और उसपर कंकरीले पत्थर ताबड़-तोड़ बरसाए, 82 जो तुम्हारे रब के यहाँ चिन्हित थे। और वे अत्याचारियों से कुछ दूर भी नहीं। 83 | उनमें से दो स्वर्गदूत साँझ को सदोम नगर में आए। लूत नगर के द्वार पर बैठा था और उसने स्वर्गदूतों को देखा। लूत ने सोचा कि वे लोग नगर के बीच से यात्रा कर रहे हैं। लूत उठा और स्वर्गदूतों के पास गया तथा जमीन तक सामने झुका। 2 लूत ने कहा, “आप सब महोदय, कृप्या मेरे घर चलें और मैं आप लोगों की सेवा करूँगा। वहाँ आप लोग अपने पैर धो सकते हैं और रात को ठहर सकते हैं। तब कल आप लोग अपनी यात्रा आरम्भ कर सकते हैं।” स्वर्गदूतों ने उत्तर दिया, “नहीं, हम लोग रात को मैदान[a] में ठहरेंगे।” 3 किन्तु लूत अपने घर चलने के लिए बार—बार कहता रहा। इस तरह स्वर्गदूत लूत के घर जाने के लिए तैयार हो गए। जब वे घर पहुँचे तो लूत उनके पीने के लिए कुछ लाया। लूत ने उनके लिए रोटियाँ बनाईं। लूत का पकाया भोजन स्वर्गदूतों ने खाया। 4 उस शाम सोने के समय के पहले ही नगर के सभी भागों से लोग लूत के घर आए। सदोम के पुरुषों ने लूत का घर घेर लिया और बोले। 5 उन्होंने कहा, “आज रात को जो लोग तुम्हारे पास आए, वे दोनों पुरुष कहाँ हैं? उन पुरुषों को बाहर हमें दे दो। हम उनके साथ कुकर्म करना चाहते हैं।” 6 लूत बाहर निकला और अपने पीछे से उसने दरवाज़ा बन्द कर लिया। 7 लूत ने पुरुषों से कहा, “नहीं मेरे भाइयो मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप यह बुरा काम न करें। 8 देखों मेरी दो पुत्रियाँ हैं, वे इसके पहले किसी पुरुष के साथ नहीं सोयी हैं। मैं अपनी पुत्रियों को तुम लोगों को दे देता हूँ। तुम लोग उनके साथ जो चाहो कर सकते हो। लेकिन इन व्यक्तियों के साथ कुछ न करो। ये लोग हमारे घर आए हैं और मैं इनकी रक्षा जरूर करूँगा।” 9 घर के चारों ओर के लोगों ने उत्तर दिया, “रास्ते से हट जाओ।” तब पुरुषों ने अपने मन में सोचा, “यह व्यक्ति लूत हमारे नगर में अतिथि के रूप में आया। अब यह सिखाना चाहता है कि हम लोग क्या करें।” तब लोगों ने लूत से कहा, “हम लोग उनसे भी अधिक तुम्हारा बुरा करेंगे।” इसलिए उन व्यक्तियों ने लूत को घेर कर उसके निकट आना शुरू किया। वे दरवाज़े को तोड़कर खोलना चाहते थे। 10 किन्तु लूत के साथ ठहरे व्यक्तियों ने दरवाज़ा खोला और लूत को घर के भीतर खींच लिया। तब उन्होंने दरवाज़ा बन्द कर लिया। 11 दोनों व्यक्तियों ने दरवाज़े के बाहर के पुरुषों को अन्धा कर दिया। इस तरह घर में घुसने की कोशिश करने वाले जवान व बूढ़े सब अन्धे हो गए और दरवाज़ा न पा सके। सदोम से बच निकलना 12 दोनों व्यक्तियों ने लूत से कहा, “क्या इस नगर में ऐसा व्यक्ति है जो तुम्हारे परिवार का है? क्या तुम्हारे दामाद, तुम्हारी पुत्रियाँ या अन्य कोई तुम्हारे परिवार का व्यक्ति है? यदि कोई दूसरा इस नगर में तुम्हारे परिवार का है तो तुम अभी नगर छोड़ने के लिए कह दो। 13 हम लोग इस नगर को नष्ट करेंगे। यहोवा ने उन सभी बुराइयों को सुन लिया है जो इस नगर में है। इसलिए यहोवा ने हम लोगों को इसे नष्ट करने के लिए भेजा हैं।” 14 इसलिए लूत बाहर गया और अपनी अन्य पुत्रियों से विवाह करने वाले दामादों से बातें कीं। लूत ने कहा, “शीघ्रता करो और इस नगर को छोड़ दो।” यहोवा इसे तुरन्त नष्ट करेगा। लेकिन उन लोगों ने समझा कि लूत मज़ाक कर रहा है। 15 दूसरी सुबह को भोर के समय ही स्वर्गदूत लूत से जल्दी करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “देखो इस नगर को दण्ड मिलेगा। इसलिए तुम अपनी पत्नी और तुम्हारे साथ जो दो पुत्रियाँ जो अभी तक हैं, उन्हें लेकर इस जगह को छोड़ दो। तब तुम नगर के साथ नष्ट नहीं होगे।” 16 लेकिन लूत दुविधा में रहा और नगर छोड़ने की जल्दी उसने नहीं की। इसलिए दोनों स्वर्गदूतों ने लूत, उसकी पत्नी और उसकी दोनों पुत्रियों के हाथ पकड़ लिए। उन दोनों ने लूत और उसके परिवार को नगर के बाहर सुरक्षित स्थान में पहुँचाया। लूत और उसके परिवार पर यहोवा की कृपा थी। 17 इसलिए दोनों ने लूत और उसके परिवार को नगर के बाहर पहुँचा दिया। जब वे बाहर हो गए तो उनमें से एक ने कहा, “अपना जीवन बचाने के लिए अब भागो। नगर को मुड़कर भी मत देखो। इस घाटी में किसी जगह न रूको। तब तक भागते रहो जब तक पहाड़ों में न जा पहुँचो। अगर तुम ऐसा नहीं करते, तो तुम नगर के साथ नष्ट हो जाओगे।” 18 तब लूत ने दोनों से कहा, “महोदयों, कृपा करके इतनी दूर दौड़ने के लिए विवश न करें। 19 आप लोगों ने मुझ सेवक पर इतनी अधिक कृपा की है। आप लोगों ने मुझे बचाने की कृपा की है। लेकिन मैं पहाड़ी तक दौड़ नहीं सकता। अगर मैं आवश्यकता से अधिक धीरे दौड़ा तो कुछ बुरा होगा और मैं मारा जाऊँगा। 20 लेकिन देखें यहाँ पास में एक बहुत छोटा नगर है। हमें उस नगर तक दौड़ने दें। तब हमारा जीवन बच जाएगा।” 21 स्वर्गदूत ने लूत से कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें ऐसा भी करने दूँगा। मैं उस नगर को नष्ट नहीं करूँगा जिसमें तुम जा रहे हो। 22 लेकिन वहाँ तक तेज दौड़ो। मैं तब तक सदोम को नष्ट नहीं करूँगा जब तक तुम उस नगर में सुरक्षित नहीं पहुँच जाते।” (इस नगर का नाम सोअर है, क्योंकि यह छोटा है।) सदोम और अमोरा नष्ट किए गए 23 जब लूत सोअर में घुस रहा था, सबेरे का सूरज चमकने लगा 24 और यहोवा ने सदोम और अमोरा को नष्ट करना आरम्भ किया। यहोवा ने आग तथा जलते हुए गन्धक को आकाश से नीचें बरसाया। 25 इस तरह यहोवा ने उन नगरों को जला दिया और पूरी घाटी के सभी जीवित मनुष्यों तथा सभी पेड़ पौधों को भी नष्ट कर दिया। 26 जब वे भाग रहे थे, तो लूत की पत्नी ने मुड़कर नगर को देखा। जब उसने मुड़कर देखा तब वह एक नमक की ढेर हो गई। |