बाइबिल या अल किताब आमतौर पर इसकी असली ज़बानों (हिब्रू और यूनानी ) में नहीं पढ़ी जाती है।इसका मतलब यह नहीं कि यह इन असली जवान में मौजूद नहीं है। यह मौजूद है, और विद्वान लोग यूनानी और हिब्रू का अध्ययन जामीया मै एक मकसद के साथ करते है ताकी वह अल किताब को उसकी असली जवान मे पड़ और उसका अध्ययन कर सके।(मूल हिब्रू में तोरा यहां देखें, और मूल यूनानी मे इंजील शरीफ यहां देखें ) यह अक्सर ऐसा होता है बाइबल के पेशेवर उस्ताद इसका अध्ययन करते रहते हैं।लेकिन आमतौर पर नियमित विश्वासी अल किताब को असली जवान मे नहीं पड़ते बल्कि अपनी मात्र ज़ुबान मे किये गए तर्जुमे मे अल किताब को पढ़ते हैं, इसलिए बाइबिल(अल-किताब ) अक्सर अपनी असली ज़ुबान मै नहीं देखी जाती है, और कुछ सोचते है कि असली(मूल) ज़ुबान खो गयी हैं, और अन्य सोचते है कि तर्जुमा की प्रकिया को आगे बढ़ाते समय भ्रस्टाचार को बढ़ावा मिला है, इन नतीजों पर कूदने से पहले, अल-किताब या बाइबिल के तर्जुमे की प्रक्रिया को समझना बेहतर है, इस लेख मै हम यही करेंगे।
तर्जुमा बनाम लिप्यंतरण(उच्चारण )(शब्दो को एक लिपि से दूसरी लिपि में परिवर्तित करना)
हमें पहले तर्जुमे की कुछ बुनियादी बातों को समझना होगा, तर्जुमेकार कभी कभी मायने के वजाये समान आवाज़ से तर्जुमा करना चुनते हैं, खासकर जब नाम और शीर्षक की बात आती है, यही लिप्यंतरण(उच्चारण) के रूप मै माना जाता है, नीचे दी गयी तस्वीर के उदाहरण मै तर्जुमा और लिप्यंतरण के बीच के फर्क को देख सकते हैं. गॉड लफ्ज को अरबी से अंग्रेजी मे लाने के लिए दो तरीके चुन सकते हैं। अगर आप मायने के रूप मै तर्जुमा करें तो गॉड लफ्ज़ मिलता है या अगर आप आवाज़ के रूप मै तर्जुमा करें तो अल्लाह लफ्ज मिलता है,
तर्जुमा बनाम लिप्यंतरण(उच्चारण)
हाल के सालों में अंग्रेजी और अरबी के बीच बड़े हुए विनिमय के साथ शब्द ‘अल्लाह’ अंग्रेजी भाषा में एक पहचान वाला लफ्ज़ बन गया है जिसका मतलब गॉड होता है. उसमे शीर्षक और खास शब्दो के तर्जुमा या लिप्यंतरण मै चूनाव लेते समय कोई सही या गलत विकल्प नहीं है. यह भाषा को सूनने वाले पर निर्भर करता है की वह इसको कितनी अच्छी तरह समझ सकता है या स्वीकार करता है .
सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा)
बाइबिल का पहला तर्जुमा तब हुआ था जब यहूदी का पुराना नियम(तौरेत और जबूर) का यूनानी ज़ुबान मै तर्जुमा 250 बी सी मै हो गया था। इस तर्जुमें को यूनानी पुराने नियम (या llx ) के रूप मे जानते हैं और यह बहुत प्रभावशाली था, क्योकि नया नियम(इंजील सरीफ) यूनानी ज़ुबान मै लिखा गया था, इसलिए पुराने नियम के कई उद्धरण यूनानी सेप्टुआजेंट से लिए गए थे
सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा) मै तर्ज़ुमा और लिप्यंतरण
नीचे दिए गए आंकड़े से यह पता चलता है कि यह सब आधुनिक दिनों की बाइबिल(अल- किताब) को कैसे प्रभावित करता है जहां अनुवाद चरण चतुष्कोणों(वृत्त का चतुर्थ भाग) में दिखाए जाते हैं।
मूल इब्रानी पुराना नियम(तौरेत और ज़बूर) चतुर्थांश # 1 में है और आज मेसोरेटिक पाठ (आधिकारिक इब्रानी ) और मृत सागर हस्तलिपियों में आसानी से मिलती है।क्योंकि सेप्टुआजेंट( इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा) एक इब्रानी था -> यूनानी अनुवाद में इसे तीर के रूप में # 1 से # 2 तक जाने वाले तीर के रूप में दिखाया गया है। नया नियम(इंजील) खुद मूल रूप से यूनानी मै लिखा गया था तो इसका मतलब नंबर 2 मै पुराना नियम(तौरेत, जबूर) और नया नियम(इंजील) शामिल है, नीचे के आधे भाग में (नंबर 3) बाइबल का नयी भाषा अनुवाद है (मिशाल के तौर पर अंग्रेजी). वहां जाने के लिए पुराना नियम(तौरेत, ज़बूर) का अनुवाद मूल इब्रानी भाषा मै किया गया है, (1 -> 3 ) और नया नियम(इंजील) यूनानी मै अनुवादित है (2 -> 3). अनुवादकों को लिप्यंतरण(उच्चारण) या नामों और शीर्षकों के अनुवाद के बारे में ज़रूर निर्णय लेना चाहिए जैसा की पहले से बताया गया है, यह हरे रंग के तीर के साथ चित्रित किया गया है की लिप्यांतरण (उच्चारण) और अनुवाद, यह दर्शाता है कि अनुवादक या तो दृष्टिकोण ले सकते हैं।
सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा) बाइबल के बदलने के सवाल पर गवाह
चूंकि 250 ईसा पूर्व के आसपास सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा) का इब्रानी भाषा से तर्जुमा किया गया था। हम देख सकते हैं (यदि हम ग्रीक को इब्रानी में वापस अनुवाद करते हैं) तो इन अनुवादकों ने अपने इब्रानी पांडुलिपियों में जो अनुवाद किया था, उसमे क्या था। चूंकि ये ग्रंथ लगभग समान हैं, यह दर्शाता है कि पुराने नियम(तौरेत,ज़बूर) का पाठ कम से कम 250 ईसा पूर्व से नहीं बदला है। यदि किसी ने (ईसाई, यहूदी या किसी और ने) पुराने नियम(तौरेत , ज़बूर ) को बदल दिया और उसे भ्रष्ट कर दिया, तो सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा) इब्रानी पाठ से अलग होना चाहिए। लेकिन वे मूल रूप से समान हैं।
इसी तरह, यदि उदाहरण के लिए, अलेक्जेंड्रिया और मिस्र में किसी ने सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा) को ही भ्रष्ट कर दिया था, तो सिकंदरिया में सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा) पांडुलिपि की प्रतियां मध्य पूर्व और भूमध्यसागरीय में अन्य सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा) पांडुलिपियों से अलग होंगी। लेकिन वे एक ही हैं। तो घटना हमें बिना किसी विरोधाभास के बताती है कि पुराना नियम(तौरेत, ज़बूर) बदला नहीं है।
तर्जुमा मै सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा)
आधुनिक तर्जुमा में मदद के लिए सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा) का भी इस्तेमाल किया जाता था । तर्जुमा आलिम सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा) का इस्तेमाल इस दिन करने के लिए करते है ताकि उन्हें पुराने नियम(तौरेत और ज़बूर) के कुछ कठिन भागों का तर्जुमा करने के लिए मदद मिल सके।यूनानी बहुत अच्छी तरह से समझी जाती है, और कुछ मार्गों में जहां इब्रानी मुश्किल है तर्जुमेकार देख सकते हैं कि 2250 साल पहले सेप्टुआजेंट(इब्रानी बाइबिल का यूनानी तर्जुमा) तर्जुमेकारो ने इन अस्पष्ट मार्गों को कैसे समझा। तर्जुमे, लिप्यंतरण और सेप्टुआजेंट को समझने में हमें यह समझने में मदद मिलती है कि ‘मसीह’ और ‘मसीहा’ शब्द कहां से आए हैं क्योंकि ये शब्द ईसा (या जीसस – पीबीयूएच) से संबंधित हैं, जिन्हें समझने के लिए हमें इंजिल शरीफ का संदेश समझने की जरूरत है। हम इसे आगे देखते हैं।