पाक होना कितना ज़रूरी है ? सूरा अन –निसा (सूरा 4 – औरत) बयान करती है :
ऐ ईमानदारों तुम नशे की हालत में नमाज़ के क़रीब न जाओ ताकि तुम जो कुछ मुंह से कहो समझो भी तो और न जिनाबत की हालत में यहॉ तक कि ग़ुस्ल कर लो मगर राह गुज़र में हो (और गुस्ल मुमकिन नहीं है तो अलबत्ता ज़रूरत नहीं) बल्कि अगर तुम मरीज़ हो और पानी नुक़सान करे या सफ़र में हो तुममें से किसी का पैख़ाना निकल आए या औरतों से सोहबत की हो और तुमको पानी न मयस्सर हो (कि तहारत करो) तो पाक मिट्टी पर तैमूम कर लो और (उस का तरीक़ा ये है कि) अपने मुंह और हाथों पर मिट्टी भरा हाथ फेरो तो बेशक ख़ुदा माफ़ करने वाला है
और) बख्श ने वाला है(सूरा अन – निसा 4:43
सूरा अन – निसा में यह हुक्म है कि नमाज़ से पहले अपने हाथ मुंह को पाक मिट्टी से साफ़ करो I यानी कि बाहिरी पाकी सफ़ाई ज़रूरी है I
सूरा अश – शम्स (सूरा 91 — आफ़ताब) हमसे कहती है कि हमारी जान –हमारी बातिनी शख्सियत भी मसावी तोर से उतनी ही ज़रूरी है I
और जान की और उसे दुरूस्त कियाफिर उसकी बदकारी और परहेज़गारी को उसे समझा दिया(क़सम है) जिसने उस (जान) को (गनाह से) पाक रखा वह तो कामयाब हुआऔर जिसने उसे (गुनाह करके) दबा दिया वह नामुराद रहा
सूरा अश –शम्स 91: 7-10
(सूरा अश – शम्स हम से कहती है कि हमारी जान या अंदरूनी शख्सियत अगर साफ़ है तभी हम ने कामियाबी को पालिया है पर अगर हमारी जान बिगड़ी हुई है तो फिर हम नाकाम हो जाते हैं I ईसा अल मसीह (अलैहिस्सलाम) ने भी अंदरूनी और बाहिरी पाकीज़गी कि बाबत तालीम दी I
हम ने देखा कि हज़रत ईसा आला मसीह के कलाम में कुव्वत थी जिस से कि वह इख्तियार के साथ तालीम देते , लोगों को शिफा देते यहाँ तक कि अपने कलाम से क़ुदरत पर भी क़ाबू रखते थे I उनहों ने यह भी तालीम दी कि ख़ुदा के सामने हम अपने दिलों की हालत को खोल दें जिस तरह हसमारी बाहिरी हालत है ताकि ख़ुद को जांच सकें I हम बाहिरी पाकीज़गी से तो मशहूर हैं जिस के लिए हम नमाज़ से पहले वज़ू करते हैं और यह भी कि हलाल गोश्त खाने को अहमियत देते हैं I हज़रत मोहम्मद (सल्लम) ने एक हदीस में फ़रमाया कि :
“पाकीज़गी आधा ईमान है …”
मुसलिम बाब 1 किताब 002 सफ़हा 0432
नबी हज़रत ईसा अल मसीह भी हम से चाहते थे कि उस दूसरे आधे ईमान कि बाबत सोचें — जो कि अंदरूनी पाकीज़गी है I यह बहुत ज़रूरी है हालांकि बनी इंसान दूसरे लोगों की बाहिरी पाकीज़गी की तरफ़ क्यूँ न देखता हो मगर अल्लाह की नज़र में यह फ़रक़ है —वह अंदरूनी पाकीज़गी की तरफ़ भी देखता है I जब यहूदा के बादशाहों में से एक ने मज़हबी रिवायात की तमाम पाबंदियों को बाहिरी तोर से लाज़िम ठहराया मगर अपने अंदरूनी दिल की पाकीज़गी पर धियान नहीं दिया तो उस ज़मानेका एक नबी इस पैगाम को लेकर आया :
9 देख, यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए। तूने यह काम मूर्खता से किया है, इसलिये अब से तू लड़ाइयों में फंसा रहेगा।
2 तवारीक़ 16:9
जिस् तरह से यह पैगाम सुनाया गया है हम को ‘दिल’ से अंदरूनी पाकीज़गी को अंजाम देना ज़रूरी हो गया — ‘तुम’ का जो लाफ़्ज़ है वह सोचता , महसूस करता , फ़ैसला करता , इताअत करता या ना फ़रमानी करता है और ज़ुबान को क़ाबू में रखता है I ज़बूर शरीफ़ के नबियों ने तालीम दी कि यह हमारे दिलों की प्यास थी जो कि हमारे गुनाहों की जड़ पर थी I हमारे दिल इतने अहम हैं कि हज़रत ईसा अल मसीह ने अपनी तालीम में हमारी बाहिरी पाकीज़गी का मुक़ाबला करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया I यहाँ इंजील की उन बातों का ज़िकर है जब ईसा अल मसीह ने फ़रक़ फ़रक़ औक़ात में अंदरूनी पाकीज़गी की बाबत तालीम दी I
बाहिरी पाकीज़गी के साथ साथ अंदर की भी सफ़ाई करो
(‘फ़रीसियों’ के बारे में यहाँ ज़िकर किया गया है I उस जमाने में यह यहूदी उस्ताद थे जिस तरह मौजूदा ज़माने के इमाम लीग होते हैं I हज़रत ईसा यहाँ ख़ुदा के लिए ‘दहयकी’ देने की बात करते हैं I यह यहूदी ज़कात के लिए ज़रूरी था I )
37 जब वह बातें कर रहा था, तो किसी फरीसी ने उस से बिनती की, कि मेरे यहां भेजन कर; और वह भीतर जाकर भोजन करने बैठा।
लूक़ा 11:37-44
38 फरीसी ने यह देखकर अचम्भा दिया कि उस ने भोजन करने से पहिले स्नान नहीं किया।
39 प्रभु ने उस से कहा, हे फरीसियों, तुम कटोरे और थाली को ऊपर ऊपर तो मांजते हो, परन्तु तुम्हारे भीतर अन्धेर और दुष्टता भरी है।
40 हे निर्बुद्धियों, जिस ने बाहर का भाग बनाया, क्या उस ने भीतर का भाग नहीं बनाया?
41 परन्तु हां, भीतरवाली वस्तुओं को दान कर दो, तो देखो, सब कुछ तुम्हारे लिये शुद्ध हो जाएगा॥
42 पर हे फरीसियों, तुम पर हाय ! तुम पोदीने और सुदाब का, और सब भांति के साग-पात का दसवां अंश देते हो, परन्तु न्याय को और परमेश्वर के प्रेम को टाल देते हो: चाहिए तो था कि इन्हें भी करते रहते और उन्हें भी न छोड़ते।
43 हे फरीसियों, तुम पर हाय ! तुम आराधनालयों में मुख्य मुख्य आसन और बाजारों में नमस्कार चाहते हो।
44 हाय तुम पर ! क्योंकि तुम उन छिपी कब्रों के समान हो, जिन पर लोग चलते हैं, परन्तु नहीं जानते॥
यहूदी शरीअत के मुताबिक़ एक यहूदी जब एक मुर्दा जिस्म को छूता है तो वह नापाक ठहरता है I जब हज़रत ईसा ने कहा कि लोग जब ‘उन क़ब्रों’ पर चलते हैं जिन पर ‘निशान नहीं बने होते’ इसका मतलब यह है कि वह यहाँ तक कि उसे ‘जानते हुए’ भी नापाक ठहरे क्यूंकी वह अंदरूनी पाकीज़गी का इंकार कर रहे थे I अगर हम इसका इंकार करते हैं तो हम भी गैर ईमानदारों की तरह नापाक ठहर सकते थे जो किसी तरह की पाकीज़गी का ख़्याल नहीं रखता I
मज़हबी तोर से पाकीज़ा शख्स को दिल नापाक टहराता है
ज़ेल की तालीम में ईसा अल मसीह (अलैहिस्सलाम) नबी यसायाह (अलैहिस्सलाम) का हवाला पेश करते हैं जो 750 क़बल मसीह में रहते थे I यहाँ नबी यसायाह की बाबत इतला के लिए हवाला पेश किया गया है :
ब यरूशलेम से कितने फरीसी और शास्त्री यीशु के पास आकर कहने लगे।
मत्ती 15:1-20
2 तेरे चेले पुरनियों की रीतों को क्यों टालते हैं, कि बिना हाथ धोए रोटी खाते हैं?
3 उस ने उन को उत्तर दिया, कि तुम भी अपनी रीतों के कारण क्यों परमेश्वर की आज्ञा टालते हो?
4 क्योंकि परमेश्वर ने कहा था, कि अपने पिता और अपनी माता का आदर करना: और जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह मार डाला जाए।
5 पर तुम कहते हो, कि यदि कोई अपने पिता या माता से कहे, कि जो कुछ तुझे मुझ से लाभ पहुंच सकता था, वह परमेश्वर को भेंट चढ़ाई जा चुकी।
6 तो वह अपने पिता का आदर न करे, सो तुम ने अपनी रीतों के कारण परमेश्वर का वचन टाल दिया।
7 हे कपटियों, यशायाह ने तुम्हारे विषय में यह भविष्यद्वाणी ठीक की।
8 कि ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है।
9 और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की विधियों को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।
10 और उस ने लोगों को अपने पास बुलाकर उन से कहा, सुनो; और समझो।
11 जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।
12 तब चेलों ने आकर उस से कहा, क्या तू जानता है कि फरीसियों ने यह वचन सुनकर ठोकर खाई?
13 उस ने उत्तर दिया, हर पौधा जो मेरे स्वर्गीय पिता ने नहीं लगाया, उखाड़ा जाएगा।
14 उन को जाने दो; वे अन्धे मार्ग दिखाने वाले हैं: और अन्धा यदि अन्धे को मार्ग दिखाए, तो दोनों गड़हे में गिर पड़ेंगे।
15 यह सुनकर, पतरस ने उस से कहा, यह दृष्टान्त हमें समझा दे।
16 उस ने कहा, क्या तुम भी अब तक ना समझ हो?
17 क्या नहीं समझते, कि जो कुछ मुंह में जाता, वह पेट में पड़ता है, और सण्डास में निकल जाता है?
18 पर जो कुछ मुंह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।
19 क्योंकि कुचिन्ता, हत्या, पर स्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा मन ही से निकलतीं है।
20 यही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, परन्तु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता॥
इस मुक़ाबले पर आने में हज़रत ईसा ने इशारा किया की हम ख़ुदा के पैगाम की बनिस्बत ‘इंसानी रिवायतों’ से मज़हबी पाबंदियों को नाफ़िज़ करने में बहुत तेज़ फहम हैं I यहूदी रहनुमाओं ने अपनी रिवायतों को अल्लाह के सामने नज़रअंदाज़ कर दिया इस बतोर कि उनहो ने अपने माँबाप को पैसे दिये ताकि उनकी उमर रसीदा दिनों में उनकी परवाह हो सके बजाए इस के कि उनकी ख़िदमत करे या उन का सहारा बने I ऐसा उनहों ने अपने मज़हबी वुजूहात की बिना पर किया I
आज भी हम अपनी अंदरूनी पाकीज़गी को लेकर उसकी इज़्ज़त न करते हुए इसी तरह की परेशानी का सामना करते हैं I मगर अल्लाह हमारे दिल से निकलने वाली हरेक नापाकी की बाबत ज़ियादा फ़िकरमंद है I अगर यह पाकीज़ा न हुआ तो इस नापाकी का अंजाम अदालत के दिन हमको अब्दी हलाकत की तरफ़ ले जाएगा I
बाहर से खूबसूरत मगर अंदर से नजासत से भरपूर
25 हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय, तुम कटोरे और थाली को ऊपर ऊपर से तो मांजते हो परन्तु वे भीतर अन्धेर असंयम से भरे हुए हैं।
मत्ती 23:25-28
26 हे अन्धे फरीसी, पहिले कटोरे और थाली को भीतर से मांज कि वे बाहर से भी स्वच्छ हों॥
27 हे कपटी शास्त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम चूना फिरी हुई कब्रों के समान हो जो ऊपर से तो सुन्दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हिड्डयों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं।
28 इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो॥
जो हम सब ने देखा है उसकी बाबत हज़रत ईसा अल मसीह बयान करते हैं I ख़ुदा में जो ईमानदार पाए जाते हैं उनमें से बाहिरी पाकीज़गी का पीछा करने वाले आम हो सकते हैं ,मगर उनमें से बहुत से हैं जो बातिनी तोर से हिर्स और लुत्फ़ अंदोज़ी से भरे हुए हैं – यहाँ तक कि वह मज़हबी तोर से अहम शख़्सियत कहलाते हैं I अंदरूनी पाकीज़गी को हासिल करना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है I मगर यह ज़ियादा मुश्किल है I अल्लाह हमारी बातिनी पाकीज़गी का बड़ी होशियारी से इनसाफ़ करेगा I सो यह मामला अपने आप से उठता है कि : हम अपने दिलों को कैसे साफ़ करते हैं ताकि अदालत के दिन हम ख़ुदा की बादशाही में दाख़िल हो सकें ? जवाबों के लिए हम इंजील को जारी रखेंगे I