अंजीर का पेड़ और तारों में कौनसी चीज़ यकसां (मुश्तरिक) है ?यह दोनों बड़े वाक़िआत की निशानियाँ हैं और जो लोग तय्यार नहीं हैं उनके लिए चितौनियाँ हैं I सूरा अत-तीन इससे शुरू होता है:
इन्जीर और ज़ैतून की क़सम
सूरा अत – तीन 95:1
इन्जीर और ज़ैतून की क़सम
इज़हार करते हैं आने का
कि हमने इन्सान बहुत अच्छे कैड़े का पैदा कियाफिर हमने उसे (बूढ़ा करके रफ्ता रफ्ता) पस्त से पस्त हालत की तरफ फेर दिया()
सूरा अत –तीन 95 :4-5
कि हमने इन्सान
बहुत अच्छे कैड़े का पैदा किया
फिर हमने उसे (बूढ़ा करके रफ़्ता
रफ़्ता) पस्त से पस्त हालत की तरफ फेर
दिया
सूरा अल – मुरसलात (इख़राज), सूरा अत – तक्वीर (ख़ात्मा करना),और सूरा अल इनफ़ितार (चिमटना) लगातार बयान करते हैं कि तारे बे – नूर हो जाएंगे और यह निशानियाँ किसी बड़े चीज़ के आने की है :
फिर जब तारों की चमक जाती रहेगीऔर जब आसमान फट जाएगाऔर जब पहाड़ (रूई की तरह) उड़े उड़े फिरेंगे
सूरा अल-मुरसलात77:8-10
फिर जब तारों की
चमक जाती रहेगी
और जब आसमान फट
जाएगा
और जब पहाड़ (रूई की तरह) उड़े उड़े फिरेंगे
जिस वक्त आफ़ताब की चादर को लपेट लिया जाएगाऔर जिस वक्त तारे गिर पडेग़ेंऔर जब पहाड़ चलाए जाएंगें
सूरा अत–तक्वीर81:1-3
जिस वक़्त आफ़ताब की
चादर को लपेट लिया जाएगा
और जिस वक़्त तारे
गिर पड़ेगा
और जब पहाड़ चलाए
जाएँगे
जब आसमान तर्ख़ जाएगाऔर जब तारे झड़ पड़ेंगेऔर जब दरिया बह (कर एक दूसरे से मिल) जाएँगे
सूरा अल–इन्फ़ितार82:1-3
जब आसमान तखऱ्
जाएगा
और जब तारे झड़
पड़ेंगे
और जब दरिया बह (कर एक दूसरे से मिल) जाएँगे
इन सब का क्या मतलब है ? नबी हज़रत ईसा अल मसीह अपने आख़री हफ़्ते में इन बातों को समझाते हैं I सब से पहले इसकी एक फ़ौरी नज़रे सानी :
नबी दानिएल और ज़करियाह इन दोनों की नबुवत के मुताबिक़ निसान महीने की 9 तारीख़ को इतवार के दिन येरूशलेम में दाख़िल होने के बाद, और फिर निसान 10 तारीख़ को पीर के दिन मक्दिस में दाख़िल होने के बाद हज़रात मूसा की तौरात के तंज़ीम ओ तरतीब के मुताबिक नबी को अल्लाह का बर्रा बतोर चुन लिया जन ज़रूरी था, नबी हज़रत ईसा अल मसीह यहूदी रहनुमाओं के ज़रिये रद्द कर दिए गए I दर असल जब वह नाक्दिस की सफाई कर रहे थे तभी से उन्हों ने साज़िश करना शुरू कर दिया था कि उनको कैसे हालाक किया जाए I इंजील शरीफ़ बयान करती है इसके आगे हज़रात ईसा अल मसीह ने क्या किया:
अंजीर के दरख़्त पर लानत भेजना
17 तब वह उन्हें छोड़कर नगर के बाहर बैतनिय्याह को गया, ओर वहां रात बिताई॥
मत्ती 21:17–19
18 भोर को जब वह नगर को लौट रहा था, तो उसे भूख लगी।
19 और अंजीर का एक पेड़ सड़क के किनारे देखकर वह उसके पास गया, और पत्तों को छोड़ उस में और कुछ न पाकर उस से कहा, अब से तुझ में फिर कभी फल न लगे; और अंजीर का पेड़ तुरन्त सुख गया।
बहुत से लोग ताज्जुब करते हैं कि हज़रात ईसा अल मसीह ने अंजीर के दरख़त को क्यूँ मुरझा दिया I इंजील शरीफ बराहे रास्त इसको नहीं समझाती I मगर पुराने नबी हमें इसे समझने में हमारी मदद कर सकते हैं I यह नबी जब आने वाले अदालत के दिन की बाबत ख़बरदार करते हैं तो अक्सर अंजीर के दरख़्त के मुरझाने की तमसील पेश करते हैं I गौर करें कि अंजीर के दरख़्त के मुरझाने की तमसील पहले के नबियों ने चितौनी देने के लिए किस् तरह इस्तेमाल किया :
12 दाखलता सूख गई, और अंजीर का वृक्ष कुम्हला गया है। अनार, ताड़, सेव, वरन मैदान के सब वृक्ष सूख गए हैं; और मनुष्यों का हर्ष जाता रहा है॥
योएल 1:12
9 मैं ने तुम को लूह और गेरूई से मारा है; और जब तुम्हारी वाटिकाएं और दाख की बारियां, और अंजीर और जलपाई के वृक्ष बहुत हो गए, तब टिड्डियां उन्हें खा गईं; तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए, यहोवा की यही वाणी है॥
आमोस 4:9
19 क्या अब तक बीच खत्ते में है? अब तक दाखलता और अंजीर और अनार और जलपाई के वृक्ष नहीं फले, परन्तु आज के दिन से मैं तुम को आशीष देता रहूंगा॥
हज्जी 2:19
4 आकाश के सारे गण जाते रहेंगे और आकाश कागज की नाईं लपेटा जाएगा। और जैसे दाखलता वा अंजीर के वृक्ष के पत्ते मुर्झाकर गिर जाते हैं, वैसे ही उसके सारे गण धुंधले हो कर जाते रहेंगे॥
यसायाह 34:4
13 यहोवा की सह भी वाणी है, मैं उन सभों का अन्त कर दूंगा। न तो उनकी दाखलताओं में दाख पाई जाएंगी, और न अंजीर के वृक्षों में अंजीर वरन उनके पत्ते भी सूख जाएंगे, और जो कुछ मैं ने उन्हें दिया है वह उनके पास से जाता रहेगा।
यरम्याह 8:13
नबी हज़रत होसियाह इससे आगे गए, अंजीर के दरख़्त को इस्राईल की एक मिसाल देकर और उनपर लानत भेजते हुए :
10 मैं ने इस्राएल को ऐसा पाया जैसे कोई जंगल में दाख पाए; और तुम्हारे पुरखाओं पर ऐसे दृष्टि की जैसे अंजीर के पहिले फलों पर दृष्टि की जाती है। परन्तु उन्होंने पोर के बाल के पास जा कर अपने तईं लज्जा का कारण होने के लिये अर्पण कर दिया, और जिस पर मोहित हो गए थे, वे उसी के समान घिनौने हो गए।
होसियाह 9:10-12,16-17;नोट करें एफ़राइम=इस्राईल
11 एप्रैम का वैभव पक्षी की नाईं उड़ जाएगा; न तो किसी का जन्म होगा, न किसी को गर्भ रहेगा, और न कोई स्त्री गर्भवती होगी!
12 चाहे वे अपने लड़के-बालों का पालन-पोषण कर बड़े भी करें, तौभी मैं उन्हें यहां तक निर्वंश करूंगा कि कोई भी न बचेगा। जब मैं उन से दूर हो जाऊंगा, तब उन पर हाय!
13 जैसा मैं ने सोर को देखा, वैसा एप्रैम को भी मनभाऊ स्थान में बसा हुआ देखा; तौभी उसे अपने लड़के-बालों को घातक के साम्हने ले जाना पड़ेगा।
14 हे यहोवा, उन को दण्ड दे! तू क्या देगा? यह, कि उनकी स्त्रियों के गर्भ गिर जाएं, और स्थान सूखे रहें॥
15 उनकी सारी बुराई गिल्गाल में है; वहीं मैं ने उन से घृणा की। उनके बुरे कामों के कारण मैं उन को अपने घर से निकाल दूंगा। और उन से फिर प्रीति न रखूंगा, क्योंकि उनके सब हाकिम बलवा करने वाले हैं।
16 एप्रैम मारा हुआ है, उनकी जड़ सूख गई, उन में फल न लगेगा। और चाहे उनकी स्त्रियां बच्चे भी न जनें तौभी मैं उनके जन्मे हुए दुलारों को मार डालूंगा॥
17 मेरा परमेश्वर उन को निकम्मा ठहराएगा, क्योंकि उन्होंने उसकी नहीं सुनी। वे अन्यजातियों के बीच मारे मारे फिरेंगे॥
यह लानतें पूरी हुईं थीं जब पहली बार 586 में येरुशलेम को बर्बाद किया गया था (यहूदियों की तारीख के लिए यहाँ पर देखें)I जब हज़रत ईसा अल मसीह ने अंजीर के दरख़्त पर लानत भेजी, तो उसने अलामती तोर से येरूशलेम की एक दूसरी बरबादी के लिए और यहूदियों के अपने मुल्क से बाहर उनकी जिलावतनी की नबुवत कर रहा था I
अनजीर के दरख़्त को लानत देने के बाद, हज़रत ईसा अल मसीह मकदिस की तरफ़ आगे बढ़ते हैं और वहां लोगों को तालीम देते और यहूदी रहनुमाओं से बहस करते हैं I उन्हों ने अल्लाह की अदालत की बाबत कई एक चितावनियाँ दीं I इंजीले मुक़द्दस इन तालीमात को तफ़सील से बयान करती है जो पूरे तौर से यहाँ पर दर्ज है I
नबी ईसा अपनी दूसरी आमद की निशानियों की पेश बीनी करते हैं
तब नबी हज़रत ईसा अल मसीह ने येरूशलेम में पाए जाने वाले यहूदियों की मक़दिस की तबाही एक तारीक नबुवत के साथ अपनी तालीम ख़तम की I उन दिनों में यह मक़दिस पूरे रोमी सल्तनत में सब से ज़ियादा मुतास्सिर करने वाली ईमारत थी I मगर इंजील उसकी बर्बादी को मसीह के दूर अनदेशी के ज़रिये पहले से देखने की बाबत बयान करती है I उनकी इस पेश बीनी ने उनके ज़मीन पर वापस लौटने के बहस को शुरू किया I जिस का ख़ास मुद्दा था उनके लौटने के निशानात I इंजील शरीफ़ उनकी तालीमात बयान करती है I
3 यहूदा से फिरिस, और यहूदा और तामार से जोरह उत्पन्न हुए; और फिरिस से हिस्रोन उत्पन्न हुआ, और हिस्रोन से एराम उत्पन्न हुआ।
मत्ती 24:1-3
नबी ने यहूदियों के मक़दिस की पूरी बरबादी की बाबत पेश्बीनी करने के ज़रिये अपनी तालीम शुरू की I तारीख़ के वसीले से हम जानते हैं कि 70 ईस्वी में यह वाक़िया गुज़रा I और फिर शाम को 1 हज़रात मसीह मक्दिस से निकलकर जैतून के पहाड़ पर गए जो येरूशलेम शहर से बाहर है I जबकि यहूदियों का दिन सूरज के गुरूब होने से शुरू होता है अब हज़रत मसीह के लिए हफ्ते के चौथे दिन की शुरुआत थी, दिन बुधवार था और निसान महीने का12वां दिन था, जब उन्हों ने उनके सवालात का जवाब दे दिया और ज़माने के आखीर दिनों की बाबत तालीम दी अपनी दूसरी आमद के बारे में बताया I
4 यीशु ने उन को उत्तर दिया, सावधान रहो! कोई तुम्हें न भरमाने पाए।
मत्ती 24:4-31
5 क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं मसीह हूं: और बहुतों को भरमाएंगे।
6 तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे; देखो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा।
7 क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भुईंडोल होंगे।
8 ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी।
9 तब वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे।
10 तब बहुतेरे ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे।
11 और बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएंगे।
12 और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा।
13 परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।
14 और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा॥
15 सो जब तुम उस उजाड़ने वाली घृणित वस्तु को जिस की चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी, पवित्र स्थान में खड़ी हुई देखो, (जो पढ़े, वह समझे )।
16 तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों पर भाग जाएं।
17 जो को ठे पर हों, वह अपने घर में से सामान लेने को न उतरे।
18 और जो खेत में हों, वह अपना कपड़ा लेने को पीछे न लौटे।
19 उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उन के लिये हाय, हाय।
20 और प्रार्थना किया करो; कि तुम्हें जाड़े में या सब्त के दिन भागना न पड़े।
21 क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।
22 और यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएंगे।
23 उस समय यदि कोई तुम से कहे, कि देखो, मसीह यहां हैं! या वहां है तो प्रतीति न करना।
24 क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिन्ह और अद्भुत काम दिखाएंगे, कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें।
25 देखो, मैं ने पहिले से तुम से यह सब कुछ कह दिया है।
26 इसलिये यदि वे तुम से कहें, देखो, वह जंगल में है, तो बाहर न निकल जाना; देखो, वह को ठिरयों में हैं, तो प्रतीति न करना।
27 क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती जाती है, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा।
28 जहां लोथ हो, वहीं गिद्ध इकट्ठे होंगे॥
29 उन दिनों के क्लेश के बाद तुरन्त सूर्य अन्धियारा हो जाएगा, और चान्द का प्रकाश जाता रहेगा, और तारे आकाश से गिर पड़ेंगे और आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी।
30 तब मनुष्य के पुत्र का चिन्ह आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे।
31 और वह तुरही के बड़े शब्द के साथ, अपने दूतों को भेजेगा, और वे आकाश के इस छोर से उस छोर तक, चारों दिशा से उसके चुने हुओं को इकट्ठे करेंगे।
यहाँ नबी हज़रत ईसा अल मसीह ने पीछे होने वाले मक्दिस की बरबादी की तरफ़ देखा I उसने तालीम दी कि मक्दिस की बरबादी ज़माने से लेकर उसके ज़मीं पर लौटने तक उसने आगाह किया कि दुनया में बुराइयाँ बढेंगी, ज़लज़ले आयेंगे, आकाल पड़ेंगे, जंग होगी, और उसके शागिर्दों को सताया जाएगा I यहाँ तक कि उन्हों ने यह भी पेश बीनी की कि ‘ख़ुशख़बरी (इंजील) की मनादी दुनया के कोने कोने में की जाएगी’(आयत-14) I जब दुनया मसीह की बाबत मालूम करलेगी झूठे नबी और झूठे मसीह होने का दावा करने वाले उठ खड़े होंगे जंगों के बीच उनके वापस लौटने की अफ़वाहें कि मसीह यहाँ है या वहाँ है हर किसी को परेशान करेगी I अफ़रा तफ़री का माहोल होगा क्यूंकि सूरज चाँद सितारे तरीक हो जाएंगे I
हम अपनी आँखों से जंग का नज़ारे देखेंगे मुसीबतें और ज़लज़ले बढ़ते ही जायेंगे I यही आसार होंगे जो उसके लौटने को (दूसरी आमद को) क़रीब ले आएगी I ऐसा लगता है कि उनके लौटने का वक़्त बहुत नज़दीक है I मगर अभी तक आसमानी क़ुव्वतें हिलाई नहीं जा रही हैं – इसका मतलब यह है उस के आने में अभी देरी है I पर हमें यह भी सोचना है कि हम कितने क़रीब हैं I इस सवाल का जवाब देन के लिए हज़रात ईसा अल मसीह ने अपनी तालीम को जारी रखा :
32 अंजीर के पेड़ से यह दृष्टान्त सीखो: जब उस की डाली को मल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो, कि ग्रीष्म काल निकट है।
मत्ती 24:32-35
33 इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो, कि वह निकट है, वरन द्वार ही पर है।
34 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी।
35 आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।
अंजीर के दरख़्त को याद रखें, जो इस्राईल की अलामत है, जिसको हज़रत मसीह ने लानत भेजी थी और वह एक दिन पहले सूख गया था I जब मक़दिस को 70 ईस्वी में बर्बाद कर दिया गया था उसके बाद इस्राईल का मुरझाया जाना एक हज़ार साल तक जारी रहा नबी ने हम से कहा कि जब अंजीर के दरख्तों—से हरी शाखे और पत्तियां फूटने लगें तब हम मालूम करेंगे कि वक़्त ‘नज़दीक’ है I पिछले 70 सालों में हम सब ने गवाही दी है कि हरा होने लगा है और इसमें कोंपलें निकलने लगी हैं यह इस्राईल के मौजूदा नए जन्म से शुरू हुआ था और जब से की वापस आने लगे दरख़्त का फलना जारी रहा I मतलब यह कि इस्राईल ने फिर से आबपाशी और खेती करना शुरू करदिया है I जी हाँ, इसको हमारे वक़तों में बहुतों के लिए जंगों, मुसीबतों और तकलीफों से जोड़ दिया गया है मगर यह हमारे लिए हैरत की बात नहीं होनी चाहिए क्यूंकि नबी ने इसकी बाबत अपनी तालीम में ख़बरदार कर दिया है I कई तरीक़े से देखा जाए तो इस ‘दरख़्त’ में अभी भी एक तरह से मुरदगी छाई हुई है मगर अंजीर के दरख़्त के पत्ते हरे हों लगे हैं I
इसलिए हमारे अपने दिनों में हमको बहुत होशियार और खबरदार होने की ज़रुरत है जबकि हज़रात मसीह ने चितौनी दी है कि उनकी दूसरी आमद के मामले में ला परवाह और ग़ैर जानिबदार न हों I
36 उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।
मत्ती 24:36-51
37 जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
38 क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी।
39 और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
40 उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा।
41 दो स्त्रियां चक्की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी।
42 इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा।
43 परन्तु यह जान लो कि यदि घर का स्वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता; और अपने घर में सेंध लगने न देता।
44 इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।
45 सो वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है, जिसे स्वामी ने अपने नौकर चाकरों पर सरदार ठहराया, कि समय पर उन्हें भोजन दे?
46 धन्य है, वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा की करते पाए।
47 मैं तुम से सच कहता हूं; वह उसे अपनी सारी संपत्ति पर सरदार ठहराएगा।
48 परन्तु यदि वह दुष्ट दास सोचने लगे, कि मेरे स्वामी के आने में देर है।
49 और अपने साथी दासों को पीटने लगे, और पियक्कड़ों के साथ खाए पीए।
50 तो उस दास का स्वामी ऐसे दिन आएगा, जब वह उस की बाट न जोहता हो।
51 और ऐसी घड़ी कि वह न जानता हो, और उसे भारी ताड़ना देकर, उसका भाग कपटियों के साथ ठहराएगा: वहां रोना और दांत पीसना होगा॥
इंजील शरीफ़ हज़रत ईसा अल मसीह ने अपनी दूसरी आमद की बाबत तालीम देना जारी रखा जिसके लिए राबता यहाँ पर है I
दिन 3 और दिन 4 का ख़ुलासा
मौजूदा तारीख़ में लाने वाली वक़्त की लकीर बताती है कि नबी हज़रत ईसा अल मसीह ने हफते के तीसरे दिन मंगल को यहूदी रहनुमाओं के साथ एक लाबी बहस से पहले अंजीर के दरख़्त पर लानत भेजी I यह इस्राईल के नबुवती अलामती तोर का अमल था I फिर दिन 4 बुध को उन्हों ने अपनी दूसरी आमद के निशानात का बयान किया – वह निशानात हैं तमाम फ़ल्की अज्साम (नय्यरों) का सबसे बड़े पैमाने पर तारीक होजाना I
फिर उन्हों ने हम सबको ख़बरदार किया कि चौकसी के साथ उसकी दूसरी आमद के लिए होशियार रहें I जबकि अब हम देख सकते हैं कि अंजीर का दरख़्त फिर से हरा भरा होने लगा है, इसलिए हम होशियार और खबरदार रहें I
इंजील शरीफ़ बयान करती है कि किसतरह शैतान (इब्लीस) नबी हज़रात मसीह के खिलाफ दिन 5 को हरकत में आया (चाल चला) जिसे हम अगली तहरीर में देखेंगे I
- उस हफ़्ते की हरेक बात के बयान को लूका की किताब में खुलासा किया गया है कि : ↩︎
37 और वह दिन को मन्दिर में उपदेश करता था; और रात को बाहर जाकर जैतून नाम पहाड़ पर रहा करता था।
लूक़ा 21:37