पेंतिकुस्त – मददगार क़ुववत देने और रहनुमाई करने आता है
सूरा अल – बलद सूरा 90 – शहर) एक चौड़े शहर का हवाला देता है और गवाही देता है और सूरा अन नसर (सूरा 110… Read More »पेंतिकुस्त – मददगार क़ुववत देने और रहनुमाई करने आता है
सूरा अल – बलद सूरा 90 – शहर) एक चौड़े शहर का हवाला देता है और गवाही देता है और सूरा अन नसर (सूरा 110… Read More »पेंतिकुस्त – मददगार क़ुववत देने और रहनुमाई करने आता है
हम ने नबी हज़रत ईसा अल मसीह के आख़री हफ़्ते की जांच की थी । इंजील शरीफ़ बयान करती है कि उन्हें छट्टे दिन –… Read More »ईसा अल मसीह से ज़िंदगी के इनाम को समझना और हासिल करना
सूरा अर – रा’द (सूरा 13 – बिजली) एक आम दावा या या ग़ैर ईमानदारों से नुक्ताचीनी को बयान करता है I और अगर… Read More »क़यामत पहले फलों में से एक : आप के लिए ज़िन्दगी
नबी हज़रात ईसा अल मसीह को फ़रेब दिया गया था और यहूदियों के फ़सह के मुक़द्दस दिन पर सलीब दी गयी थी, जो अब मुबारक… Read More »दिन 7 – सबत का आराम
सूरा 62 (इबादत गुज़ारों की जमाअत, रोज़े जुम्मा—अल जुम्मा) हम से कहता है कि रोज़े जुम्मा मुसमानों के लिए नमाज़ अदा करने का दिन है,… Read More »दिन छे – हज़रत ईसा अल मसीह और मुबारक जुम्मा
नबी ईसा अल मसीह अपनी ज़िन्दगी के आख़री हफ़ते के चौथे दिन अपने ज़मीन पर लौटने के निशानात की बाबत नबुवत की थी I इंजील… Read More »दिन 5 – शैतान नीचे उतरता है कि मसीह को मारे
अंजीर का पेड़ और तारों में कौनसी चीज़ यकसां (मुश्तरिक) है ?यह दोनों बड़े वाक़िआत की निशानियाँ हैं और जो लोग तय्यार नहीं हैं उनके… Read More »अल-अक्सा स्थान, रॉक स्थान का गुंबद, इसा अल मसिह भगवान का मेमना, भगवान का मेमना क्या है, चट्टान का गुंबद इतना महत्वपूर्ण क्यों है
येरूशलेम में अल–अक़सा के वह मक़ामात (अल मसजिदुल अक़सा या बैतुल मुक़द्दस) और पत्थर का गुम्बद (गुम्बदुल सख़रा) क्यूँ ज़ियादा अहमियत रखते हैं ? इसलिए… Read More »दिन 2: हज़रत ईसा अल मसीह चुन लिये गए– जहां अल –अकसा और मौजूदा गुमबदुल सखरा हैं
ईसा अल मसीह का खजूरी इतवार के दिन येरूशलेम में दाखिला उसके आखरी हफ़्ते में शुरू हुआ I सूरा अल अंबिया (सूरा 21 – अंबिया… Read More »दिन 1 : ईसा अल मसीह – क़ौमों के लिए रौशनी
सूरा अत –तौबा (सूरा 9 — तौबा करना , तक़दीरे इलाही) बहस पैदा करता है जबकि यह जिहाद या जिददो जहद की बाबत बहस करता… Read More »एक चोंका देने वाले तरीक़े से, एक फ़रक़ दुश्मन के लिये, हज़रत ईसा अल मसीह– जिहाद का ऐलान करते हैं