अगर आपको बड़ी महब्बत की कहानी का नाम देना हो तो, शायद आप नबी हज़रत मोहम्मद सल्लम और हज़रत ख़दीजा (रज़ि) के बीच महब्बत की कहानी को या हज़रत मोहम्मद सल्लम और उन की चहेती बीवी हज़रत आइशा सिददीक़ा (रज़ि) के बीच महब्बत की दास्तान पेश करते या फिर हज़रत अली और हज़रत फ़ातिमा के महब्बत की कहानी की सलाह देते । और अगर फ़ि ल्मों और तसनीफ़ की बात करें तो आप शायद रोमियो और जूलियत, ब्यूटी एंड द बीस्ट, अलाउद्दीन की कहानी में अली और जेसमीन की, या शायद सिनडरेल्ला और प्रिनस चारमिंग की महब्बत की कहानी को तरजीह देते । जिन में तारीख़, ख़दीम अमरीकी तहज़ीब, और प्यार के फ़साने और जोश से भरी महब्बत की कहानियां पेश करते हैं जो हमारे दिलों , जज़्बातों और तसव्वुरात को क़ाबू मे कर लेते हैं ।
एक बड़े ताज्जुब के साथ, वह महब्बत जो रूथ और बोअज़ के बीच तरक़्क़ी की वह इन में से किसी भी महब्बत की दास्तान के मुक़ाबले में ज़ियादा अरसे तक क़ाइम रहने और शानदार नहीं थे । और दर असल हम में से खरबों लोगों की ज़िंदगियों में जो आज जी रहे हैं असर करती है — जबकि यह दोनों आशिक़ तीन हज़ार साल पहले आपस में मिले थे ।
सूरा जात अल – मा ’ऊन , अद – ज़ुहा , अल –इनशराह और अल – मुमतहनह रूथ और बोअज़ में मिसाल बनते हैं
रूथ और बोअज़ की कहानी इन सूराजात के जरिये से एक बुनयादी उसूल की मिसाल पेश करते हैं । बोअज़ ने रूथ पर एक छोटी सी मेहरबानी करी थी, मगर वह एक ऐसा शख़्स था जो शरीर आदमी के बिलकुल ही खिलाफ़ था जिसके खिलाफ़ में सूरा अल – माऊन (सूरा 107 – छोटी मेहरबानियाँ) बयान पेश करता है ।
ये तो वही (कम्बख़्त) है जो यतीम को धक्के देता है। और मोहताजों को खिलाने के लिए (लोगों को) आमादा नहीं करता।
(सूरए अल माऊन 107:2-3)
और रोज़ मर्रा की मामूली बरतने की चीज़ें भी आरियत नहीं देते।
सूरए अल माऊन 107:7
तजरुबों के मामले में रूथ एक कामिल मिसाल है जिस तरह अज़ – ज़ुहा (सूरा 93 – सुबह के औक़ात) में पेश किया गया है।
और तुमको एहकाम से नावाकिफ़ देखा तो मंजि़ले मक़सूद तक पहुँचा दिया । और तुमको तंगदस्त देखकर ग़नी कर दिया। तो तुम भी यतीम पर सितम न करना । माँगने वाले को झिड़की न देना । और अपने परवरदिगार की नेअमतों का जि़क्र करते रहना ।
सूरए अज़ ज़ुहा 93:7-11
नाओमी के तजरूबे, रूथ की कहानी में रूथ की सास अपने उसूलों की बहुत पक्की थी जिस तरह सूरह अल – इनशराह (सूरा 94 – छुटकारा) में पेश किया गया है ।
(ऐ रसूल) क्या हमने तुम्हारा सीना इल्म से कुशादा नहीं कर दिया (जरूर किया)। और तुम पर से वह बोझ उतार दिया। जिसने तुम्हारी कमर तोड़ रखी थी। और तुम्हारा जि़क्र भी बुलन्द कर दिया । तो (हाँ) पस बेशक दुशवारी के साथ ही आसानी है । यक़ीनन दुशवारी के साथ आसानी है ।
सूरए अल इन्शिराह 94:1-6
वह तरीक़ा जिसमें बोअज़ ग़ैर मुल्क से आकर पनाह ले रही रूथ पर यक़ीन करते हुए जाँचता है वह सूरा अल – मुमतहना (सूरा 60 – वह औरत जिस को जाँचना चाहिए) की बुनयाद पर है जिसे वह अपने लिए नाफ़िज़ करता है ।
ऐ ईमानदारों जब तुम्हारे पास ईमानदार औरतें वतन छोड़ कर आएँ तो तुम उनको आज़मा लो, ख़ुदा तो उनके ईमान से वाकिफ़ है ही, पस अगर तुम भी उनको ईमानदार समझो तो उन्ही काफि़रों के पास वापस न फेरो न ये औरतें उनके लिए हलाल हैं और न वह कुफ़्फ़ार उन औरतों के लिए हलाल हैं और उन कुफ्फ़ार ने जो कुछ (उन औरतों के मेहर में) ख़र्च किया हो उनको दे दो, और जब उनका महर उन्हें दे दिया करो तो इसका तुम पर कुछ गुनाह नहीं कि तुम उससे निकाह कर लो और काफ़िर औरतों की आबरू (जो तुम्हारी बीवियाँ हों) अपने कब्ज़े में न रखो (छोड़ दो कि कुफ़्फ़ार से जा मिलें) और तुमने जो कुछ (उन पर) ख़र्च किया हो (कुफ़्फ़ार से) लो, और उन्होने भी जो कुछ ख़र्च किया हो तुम से माँग लें यही ख़ुदा का हुक्म है जो तुम्हारे दरमियान सादिर करता है और ख़ुदा वाकि़फ़कार हकीम है।
सूरए अल मुम्तहिनह 60:10
आज के ज़माने के लिए रूथ और बोअज़
उनके प्यार का मामला भी आप के और मेरे लिए अल्लाह की जानिब से एक मख़फ़ी या बातिनी और रूहानी महब्बत को पेश करता है । रूथ और बोअज़ की कहानी ग़ैर तहज़ीबी और ममनू शुदा महब्बत, तबदील ए वतन, एक ज़ोरावर आदमी और एक कमज़ोर औरत के बीच रिश्ते के साथ बरताव करता है – यह मौजूदा के # मी टू ईरा में नफ़िज़ होता है । यह क़दीम यहूदी -अरबी ताल्लुक़ात से बरताव रखता है । यह हमारे लिए एक नीला ख़ाका साबित होता है कि हम किस तरह से एक कामयाब शादी शुदा ज़िन्दगी को क़ायम करें । इन में से किसी एक मेयार पर रूथ और बोअज़ की महब्बत की कहानी जानने लायक़ है ।
इन की महब्बत को किताब –ए-
मुक़द्दस बाइबल के रूथ की किताब में बयान किया गया है । यह एक छोटी किताब है –
इसमें सिरफ़ 2400 अल्फ़ाज़ पाये जाते हैं –और इसे (यहाँ)
पढ़ने लायक़ है इसको 1150 में लिखा गया था, जिसको
तमाम महब्बत की कहानियों में सब से पुराना माना जाता है । इसकी कई एक फ़िल्म भी बन
चुकी है ।
रूथ की महब्बत की होललीवुड फ़िल्म जो लफ़्ज़ों से तस्वीर खींची गई है
रूथ के महब्बत की कहानी
नाओमी और उसका शोहर, जो दोनों यहूदी थे, उनके दो बेटे थे । तमाम इसराईल मुल्क में क़हत पड़ने से इन का जीना दूभर हो जाता है । क़हत से बचने के लिए वह अपने दोनों बेटों को लेकर पास के मुल्क मोआब चले आते है । (मोआब मौजूदा यर्दन का इलाक़ा है) । कुछ दिन गुज़रने के बाद मक़ामी लड़कियों के साथ अपने बेटों की शादी करदी जाती है मगर मुकद्दर उन दोनों बेटों को जीने नहीं देता, वह दोनों बटे मर जाते है इसी तरह नओमी का शोहर भी अपनी बीवी और अपनी दोनों बहुओं को अकेला छोड़ कर मर जाता है । नओमी अपने मादिरे वतन इसराईल को लौटने का फैसला लेती है और दोनों बहुओं में से एक जिस का नाम रूथ था वह अपनी सास के साथ रहना पसंद करती है । अपने शहर बेथलहम से एक लम्बे अरसे तक दूर रहने के बाद एक मोहताज (मुफ़लिस) बेवा बतोर रूथ के साथ वह बेथलहम वापस आती है । रूथ एक खूबसूरत, जवान और कमज़ोर मोआबिन लड़की थी जो (अरब) से तबदीले वतन थी ।
रूथ और बोअज़ का मिलना
कोई आमदनी न होने के सबब से, रूथ खेतों में अनाज बटोरने जाती थी जो मक़ामी फ़सल काटने वालों से अक्सर छूट जाता है या छोड़ दिया जाता है । अगर कोई ज़रूरतमन्द उन्हें बटोरता है तो उसके लिए मनाही नहीं थी । यह पुराने अहद नामे का रिवाज था । नबी हज़रत मूसा की शरीअत मे ऐसा लिखा हुआ है । मुआशिरती तहफ्फुज़ के निज़ाम के मुताबिक़ तमाम फ़सल काटने वालों के लिए हुक्म था कि कुछ अनाज अपने खेतों में छोड़ दिया करें ताकि ग़रीब और मुफ़लिस लोग उन्हें बटोर कर अपना गुज़ारा कर सकें । बिना सोचे समझे यह देखा गया कि रूथ खुद ही उन खेतों में जा कर छोड़ी हुई अनाज बटोरती है जिन का मालिक एक दौलतमंद था जिस का नाम बोअज़ था । बोअज़ इस बात पर धियान देता है कि रूथ दीगर औरतों के साथ अनाज बटोरने में मशक़त कर रही थी जो उसके काटने वाले मज़दूरों के जरिये छोड़ा जाता था । बोअज़ अपने ठेकेदार को हिदायत देता है कुछ मज़ीद अनाज पीछे खेत में छोड़ दिया करे ताकि रूथ ज़ियादा अनाज बटोर सके । ऐसा करते हुए, बोअज़ एक बुरे शख्स की उल्टा मिसाल पेश करता है जिस तरह सूरा अल-माऊन मे पेश किया गया है और रूथ अपनी ज़रूरत पूरा कर लेती है जिस तरह सूरा अज़-ज़ुहा मे बताया गया है ।
रूथ और बोअज़ की मुलाक़ात । मच आर्ट ने उनकी मुलाक़ात की तस्वीर कशी की है
इसलिए कि रूथ बोअज़ के खेतों में कसरत से अनाज बटोर सकती थी अब वह हर दिन बिला नाग़ा आती थी । बोअज़ एक मुहाफ़िज़ बतोर यक़ीन रखता है कि रूथ किसी भी तरह से अपने किसी भी नौकर के ज़रिये न परेशान की जाए और न छेड़ी जाए । जैसे जैसे बोअज़ रूथ का ख्याल रखने लगा था वह दोनों आपस में एक दूसरे से दिलचसपी लेने लगे । मगर इसलिए कि उन दोनों के बीच उम्र का, मुआशिरती हैसियत का और क़ौमियत का फ़रक़ था, डीओएनओएन में से कोई आगे नहीं बढ़ा । पर नओमी इन दोनों की जोड़ी बनाने में लगी हुई थी । उसने रूथ को हिदायत दी कि फ़सल कटाई के आख़री दिन जश्न के बाद सोने के वक़्त दिलेरी से बोअज़ के बाज़ू में जाकर लेट जाए । और रूथ ऐसा ही करती है । बोअज़ समझ जाता है कि यह शादी की तजवीज़ है और वह उससे शादी करने फैसला करता है ।
क़रीबी रिश्तेदार छुड़ाने वाला
मगर उन दोनों के बीच महब्बत से ज़ियादा हालत और पेचीदा तब होजाती है जब उन्हें मालूम पड़ता है कि बोअज़ नओमी का रिश्तेदार साबित होता है । और जबकि रूथ नओमी की बहू है तो बोअज़ और रूथ शादी के ज़रिये क़रीबी रिश्तेदार हुए । इस सूरत में बोअज़ को ‘छुड़ाने वाला रिश्तेदार’ बतोर रूथ से शादी करनी पड़ी । इस का मतलब यह है नबी हज़रत मूसा की शरीअत के मातहत वह उसके पहले शोहर के नाम से (नओमी का बेटा) शादी करेगा और इस तरह उसके लिए मुहैया करेगा । इस का मतलब यह होगा कि बोअज़ नओमी के ख़ानदान के खेतों को खरीदे । हालांकि यह बोअज़ के लिए बहुत महंगा साबित हुआ मगर यह कोई बड़ी रुकावट नहीं थी । एक दूसरा क़रीबी रिश्तेदार था जो पहला हक़ रखता था कि नओमी के खानदान के खेतों को खरीदे । (और इस तरह से भी रूथ से शादी करे) इस तरह से रूथ की शादी बोअज़ से इस बात पर ठहर गया कि चाहे दूसरा शख्स चाहता था कि नओमी और रूथ की ज़िम्मेदारी उठाए कि उनकी परवाह की जाए । शहर के बुज़ुर्गों ने एक आम सभा के पहली क़तार में इस शादी को रद्द कर दिया इस लिए कि उसके ख़ुद के कुल इमलाक का जोखिम था । मगर बोअज़ आज़ाद था कि उसे ख़रीदे और नओमी के ख़ानदानी इमलाक को छुड़ाए और रूथ से शादी करे । नओमी ने जो मुश्किल साल काटे थे अब उनसे राहत पाई । इसी उसूल के मिसाल को सूरा इन-शराह में पेश किया गया है ।
रूथ और बोअज़ की विरासत
शादी के बाद उन दोनों के मिलन से एक बच्चा पैदा हुआ जिस का नाम उनहों ने ओबेद रखा । जैसे जैसे इनकी नसल बढ़ती गई इनही की नसल से हज़रत दाऊद (दाऊद बादशाह) पैदा हुए । हज़रत दाऊद से वायदा किया गया था कि मसीह उन के ख़ानदान से पैदा होंगे । आगे की नबुवतें पेश बीनी करते हैं कि मसीह की पैदाइश एक कुंवारी से होगी और आखिरे कार नबी हज़रत ईसा अल मसीह बेथलहम में पैदा हुए उसी कस्बे में जहां रूथ और बोअज़ सदियों साल पहले मिले थे । उनकी महब्बत, शादी और ख़ानदानी शजरे से जो नसल चली आई जो मौजूदा ज़माने के केलंडर की बुनयाद है, और आलमगीर छुट्टियाँ जैसे क्रिसमस और ईस्टर इन्हीं की देन है – 3000 साल पहले एक धूल भरे गांव में जो महब्बत की दास्तान शुरु हुई उस का अंजाम कोई बुरा नहीं है ।
एक बड़ी महब्बत की कहानी की तस्वीर कशी करना
जिस बहादुरी और इज्ज़त के साथ अमीर और ज़ोरावर बोअज़ ने रूथ के साथ सुलूक किया,जो मोहताज और बाहिरी मुल्क की थी वह एक मिसाली और परेशानियों का मुक़ाबला करती हुई फ़ा इदा उठा रही थी और अब यह #मी टू डे में मामूल सा बन गया है । ख़ानदानी शजरे का तारीख़ी असर जो इस महब्बत और शादी ने तय्यार किया, यह हमें हर वक़त याद दिलाता है जब भी हम अपने मनसूबों की तारीख़ नोट करते हैं कि यह महब्बत की कहानी क़ाइम रहने वाली विरासत को पेश करती है । मगर रूथ और बोअज़ की कहानी यहाँ तक कि दीगर महब्बत की कहानियों के मुक़ाबले में उन से बड़ी है — जिसमें आपको और मुझे दावत दी जाती है ।
किताब मुक़द्दस बाइबल हम से बयान करता है कि जैसा रूथ ने कहा वैसा वह भी कहता है ।
23 और मैं अपने लिये उसे देश में बोऊंगा, और लोरूहामा पर दया करूंगा, और लोअम्मी से कहूंगा, तू मेरी प्रजा है, और वह कहेगा, “हे मेरे परमेश्वर”॥
होसी’अ 2:23
पुराने अहदनामे का नबी होसी’अ (सीए 750 क़बल मसीह) ने अपने खुद की टूटी शादी में सुलह का इस्तेमाल करते हैं तस्वीर कशी केई लिए कि अल्लाह अपनी महब्बत के साथ हम तक पहुँच रहा है । जिस तरह रूथ बोअज़ की ज़मीन पर ऐसे पहुंची थी जैसे उस के साथ प्यार का कोई वास्ता नहीं था मगर बाद में बोअज़ की तरफ़ से प्यार ज़ाहिर किया गया, अल्लाह की मर्ज़ी है कि वह अपनी महब्बत हम में से उन पर भी ज़ाहिर करे जो महसूस करते हैं कि हम उसकी महब्बत से बहुत दूर हैं । इसको इंजील शरीफ के रोमियों की किताब (9:25) में हवाला दिया गया है यह दिखाने के लिए कि जो लोग उसकी महब्बत से दूर हैं किस तरह अल्लाह उन तक पहुंचता है ।
किस तरह उसकी महब्बत को दिखाया गया ? ईसा अल मसीह, जो बोअज़ और रूथ की नसल है, ऐसा शख्स जो हमारा ‘अज़ीज़’ (एक रिश्तेदार) बतोर बिलकुल उसी तरह बोअज़ रूथ के लिए था । उसने हमारे गुनाहों का क़र्ज़ा अल्लाह को अदा किया जब वह सलीब पर मसलूब किया गया था, और इस तरह वह
14 जिस ने अपने आप को हमारे लिये दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले भले कामों में सरगर्म हो॥
तितुस 2:14
जिस तरह बोअज़ एक ‘अज़ीज़ छुड़ाने वाला’ था जिस ने रूथ को छुड़ाने के लिए एक बड़ी रक़म अदा की, बिलकुल उसी तरह येसू हमारा ‘अज़ीज़ – छुड़ाने वाला’ है जिस ने हमको हमारे गुनाहों से छुड़ाने के लिए (अपनी ज़िन्दगी) क़ुरबान कर दी ।
हमारी शादियों के लिए एक मिसाल
जिस तरीक़े से ईसा अल मसीह (और बोअज़) छुड़ाने के लिए क़ीमत अदा की और अपनी दुल्हन को जीत लिया (पा लिया) यह हमारे लिए मिसाल है कि हम किस तरह अपनी शादियां ता’मीर कर सकते हैं । आल-किताब/बाइबल समझाती है कि हम अपनी शादियाँ कैसे क़ायम करते हैं :
21 और मसीह के भय से एक दूसरे के आधीन रहो॥
इफ़सियों 5:21-23
22 हे पत्नियों, अपने अपने पति के ऐसे आधीन रहो, जैसे प्रभु के।
23 क्योंकि पति पत्नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है; और आप ही देह का उद्धारकर्ता है।
24 पर जैसे कलीसिया मसीह के आधीन है, वैसे ही पत्नियां भी हर बात में अपने अपने पति के आधीन रहें।
25 हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया।
26 कि उस को वचन के द्वारा जल के स्नान से शुद्ध करके पवित्र बनाए।
27 और उसे एक ऐसी तेजस्वी कलीसिया बना कर अपने पास खड़ी करे, जिस में न कलंक, न झुर्री, न कोई ऐसी वस्तु हो, वरन पवित्र और निर्दोष हो।
28 इसी प्रकार उचित है, कि पति अपनी अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखें। जो अपनी पत्नी से प्रेम रखता है, वह अपने आप से प्रेम रखता है।
29 क्योंकि किसी ने कभी अपने शरीर से बैर नहीं रखा वरन उसका पालन-पोषण करता है, जैसा मसीह भी कलीसिया के साथ करता है
30 इसलिये कि हम उस की देह के अंग हैं।
31 इस कारण मनुष्य माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे।
32 यह भेद तो बड़ा है; पर मैं मसीह और कलीसिया के विषय में कहता हूं।
33 पर तुम में से हर एक अपनी पत्नी से अपने समान प्रेम रखे, और पत्नी भी अपने पति का भय माने॥
जिस तरह बोअज़ और रूथ ने अपनी शादी एक दूसरे से महब्बत और एक
दूसरे की इज्ज़त की बुनयाद पर क़ाइम की, और नबी
ईसा की परवाह शोहरों के लिए एक मिसाल है कि अपनी बीवियों से नज़र –ओ- नियाज़ से
प्यार करें, तब हम अपनी शादियों की तामीर इनही क़दर –ओ-क़ीमत के साथ एक
उम्दा तरीक़े से कर पाएंगे ।
एक शादी की दावत आपके और मेरे लिए
जिस तरह तमाम महब्बत की अच्छी कहानियों में होता है , वैसे ही किताब/बाइबल एक शादी के साथ ख़त्म करता है । जिस तरह बोअज़ ने रूथ को छुड़ाने के लिए क़ीमत अदा की, उनकी अपनी शादी के लिए रास्ता साफ़ किया उसी तरह नबी हज़रत ईसा आल मसीह ने भी हमारे गुनाहों के लिए क़ीमत अदा की और हमारी शादी के लिए रास्ता साफ़ किया । यह शादी तस्वीरी या तमसीली नहीं बल्कि हक़ीक़त है, और जो इस शादी की दावत को क़बूल कर लेते हैं उन्हें ‘मसीह की दुल्हन’ कहा जाता है । जैसे कलाम कहता है :
7 आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उस की स्तुति करें; क्योंकि मेम्ने का ब्याह आ पहुंचा: और उस की पत्नी ने अपने आप को तैयार कर लिया है
मुकशफ़ा19:7
जो लोग येसू के छुटकारे की पेशक्श को क़बूल करते हैं वह उसकी ‘दुल्हन’ बन जाते हैं । इस आसमानी शादी को हम सब के लिए पेश किया गया है । उसकी शादी में आने के लिए आप को और मुझे यह दावत नामा देने के साथ बाइबल ख़त्म होती है ।
17 और आत्मा, और दुल्हिन दोनों कहती हैं, आ; और सुनने वाला भी कहे, कि आ; और जो प्यासा हो, वह आए और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले॥
मुकाशफ़ा 22:17
रूथ और बोअज़ के बीच जो रिश्ता है वह महब्बत की एक मिसाल है जिसको आज और अभी भी महसूस किया जा सकता है । यह अल्लाह की आसमानी महब्बत की एक तस्वीर है । वह अपनी दुल्हन बतोर उनसे शादी करेगा जो उसकी तजवीज़ को क़बूल करते हैं जैसे किसी भी शादी में किया जाता है, उसकी पेशकश को तोला जाना चाहिए यह देखने के लिए कि आप उसे क़बूल करते हैं या नहीं । ‘मनसूबे’ के साथ यहाँ शुरू करें जो हज़रत आदम के साथ शुरू में पेश किया गया है, यहाँ यह देखना पड़ेगा कि हज़रत इब्राहीम ने मंसूबे की पेशबीनी की, यहाँ नबी हज़रत मूसा ने बताया कि छुटकारा देने वाला कैसे क़ीमत अदा करेगा, और यहाँ यह देखना है कि सदियों पहले इसकी पेशीनगोई कैसे हुई ताकि हम जान सकें कि यह सच मुच अल्लाह/खुदा की तजवीज़ है ।
रूथ के किताब की दूसरी तसररूफ़ फ़िल्म में