हमारी पिछली तहरीर में हम ने देखा था कि नबी दानिएल पेशबीनी की थी कि मसीह लोगों के बीच मे से काट डाला जाएगा I हम ज़बूर के वसीले से सफ़र के आखिर में आते हैं मगर हमारे पास सीखने के लिए कुछ और है I यसायाह नबी (इस को आप ज़ेल की वक़्त की लकीर में देखें जिस ने नबुवत की थी I
ज़बूर में हज़रत यसायाह (अलैहिस्सलाम) और उसके ज़माने के दीगर नबियों के साथ वक़्त की लकीर
आने वाले मसीह की बाबत एक शाख़ का इस्तेमाल करते हुए I मगर उस ने एक आने वाले शख्स की बाबत यह भी लिखा कि वह एक ख़ादिम कहलाएगा I उस ने आने वाले ‘ख़ादिम’ की बाबत एक लम्बी इबारत लिखी I यह ‘ख़ादिम’ कौन था ? वह क्या करने जा रहा था हम इबारत में तफ़सील के साथ देखते हैं I मैं इसको ज़ेल में सच मुच में दोबारा से समझाने के लिए कुछ गलतियों को जोड़ते हुए पेश करता हूँ I
आने वाले ख़ादिम की बाबत यसायाह नबी पेश बीनी करता है I उसकी मुकम्मल इबारत (यसायाह 52:13 – 53:12)
देख, मेरा नौकर बुद्धिमानी से काम करेगा;
यसायाह 52:13-15
उसे उठाया जाएगा और ऊपर उठाया जाएगा और अत्यधिक ऊंचा किया जाएगा।
बस ऐसे ही कई लोग थे, जो उस पर खुश थे-
उनकी उपस्थिति किसी भी इंसान से परे थी
और उनका रूप मानवीय समानता से परे था-
इसलिए वह कई राष्ट्रों को छिड़क देगा,
और राजा उसके कारण अपना मुंह बंद कर लेंगे।
जो उन्हें नहीं बताया गया, उसके लिए वे देखेंगे,
और जो उन्होंने नहीं सुना है, वे समझेंगे।
हम जानते हैं कि यह ख़ादिम बनी इंसान का आदमी होगा क्यूंकी यसायाह उसको सेगा ए मुज़ककर ‘वह’, ‘उसे’, ‘उसके’ बतोर हवाला देता है I जब हारून (अलैहिस्सलाम) बनी इसराईल के लिए क़ुरबानी देते थे तो उस जानवर के खून को लोगों पर छिड़कते थे I तब जाकर उन के गुनाह दूर होते थे I और फिर वह गुनाह उन के खिलाफ़ हिसाब में नहीं लाया जाता था I जब वह कहता है कि वह ख़ादिम ‘छिड़केगा’I नबी यसायाह का मतलब यह है कि इसी तरह यह खादिम लोगों को उन के गुनाहों के सबब से छिड़केगा जिस तरह से हारून (अलैहिस्सलाम) ने बनी इसराईल के लिए क़ुरबानी पेश करते वक़्त किया था I
मगर ख़ादिम कई एक क़ौमों पर छिड़केगा I इस का मतलब यह है कि ख़ादिम सिर्फ यहूदियों के नहीं आरहा था I यह हम को हज़रत इब्राहीम के लिए किए गए वायदे को याद दिलाता है जब अल्लाह ने (निशानी 1 और निशानी 3) में कहा था कि तमाम क़ौमें उस के वसीले से बरकत पाएँगी I मगर उसके छिड़कने के ज़रिये से उस का मज़ाहिरा और ख़ादिम की शक्ल बिगड़ जाती है I हालांकि यह साफ़ नहीं है कि ख़ादिम इस तरह से अपनी सूरत बिगाड़ने के लिए क्या करेगा मगर एक दिन क़ौमें समझ जाएंगी I
53 जिसने हमारे संदेश पर विश्वास किया है
यसायाह 53 :1-3
और यहोवा की भुजा किसके पास है?
2 वह [सेवक] उसके सामने बड़ा हो गया [यहोवा] एक निविदा की तरह,
और जड़ की तरह सूखी जमीन से।
हमारे पास उसे आकर्षित करने के लिए उसके पास कोई सुंदरता या ऐश्वर्य नहीं था,
उसकी उपस्थिति में कुछ भी नहीं है कि हमें उसकी इच्छा करनी चाहिए।
3 वह मानवजाति द्वारा तिरस्कृत और खारिज किया गया,
दुख का आदमी, और दर्द से परिचित।
जैसे कोई जिससे लोग अपना मुंह छिपाते हैं
वह तिरस्कृत था, और हमने उसे कम सम्मान में रखा।
कुछ वजह के होते हुए हालांकि ख़ादिम बहुत से क़ौमों को छिड़केगा मगर वह ‘तहक़ीर’ किया जाएगा और ‘तरक’ किया जाएगा I बहुत ज़ियादा ‘दुखों’ के साथ वह ‘रंज का आशना’ होगा I
4 Surely he took up our pain
and bore our suffering,yet we considered him punished by God,
यसायाह 53:4-5
stricken by him, and afflicted.
5 But he was pierced for our transgressions,
he was crushed for our iniquities;
the punishment that brought us peace was on him,
and by his wounds we are healed.
ख़ादिम दुखों को उठालेगा I यह ख़ादिम छेदा भी जाएगा और सज़ा बतोर कुचला भी जाएगा I और यह उसकी सज़ा हमारे लिए (सब क़ौमों के लिए) तसल्ली लेकर आएगा I और हमें शिफ़ा इनायत करेगा I
6 We all, like sheep, have gone astray,
यसायाह 53:6
each of us has turned to our own way;
and the Lord has laid on him
the iniquity of us all.
हम ने अपनी प्यासे की निशानी में देखा कि किस तरह अल्लाह की तरफ़ मुतवज्जा होने के बदले हम अपने ख़ुद के टूटे कुवों की तरफ़ जाते थे कि अपनी प्यास बुझाएँ I हम भटक गए थे I और हम सब ने अपनी राह ली यह हमारा गुनाह (= बदकारी) है I
7 वह उत्पीड़ित और पीड़ित था,
यसायाह 53:7
फिर भी उसने अपना मुँह नहीं खोला;
वह कत्ल के लिए एक मेमने की तरह था,
और उसके शीशों के सामने भेड़ के रूप में चुप है,
इसलिए उसने अपना मुँह नहीं खोला
जबकि नबी हाबील, नूह, इब्राहीम, मूसा और हारून (अलैहिस्सलाम)ने बररों को लेकर क़ुरबानी पेश किए थे I मगर यहाँ ख़ादिम ख़ुद ही ज़बह किया जाएगा I मगर वह मुखालफ़त नहीं करेगा और न वह अपना मुंह खोलेगा I
8 अत्याचार कर के और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगों में से किस ने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी।
यसायाह 53:8
यह जो ख़ादिम है वह अपनी ज़मीन से काट डाला जाएगा I क्या यह वही बात है जिसे दानिएल नबी बयान करता है कि मसीहा अपने लोगों में से काट डाला जाएगा’? जी हाँ यहाँ भी इन्हीं अलफ़ाज़ का इस्तेमाल किया गया है ! यहाँ इस का मतलब यह है कि उसको जहां वह रहता है वहाँ से काट डाला जाएगा जब तक वह मर न जाए I
9 और उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उसने किसी प्रकार का अपद्रव न किया था और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली थी॥
यसायाह 53:9
अगर उसका मरना तय था तो उसके लिए एक क़बर तयार किया जाना था I उसको एक बदकार बतोर मौत की सज़ा दी गई ई I हालांकि उसमें कोई मकर की बात नहीं थी न उसके मुंह से कोई छल की बात निकली I
10 तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी।
सायाह 53:10
यह तमाम ज़ालिमाना मौत कोई शादीद हादसा या बद क़िसमती नहीं थी I यह ख़ास ख़ुदावंद की पाक मरज़ी थी कि उस को कुचले मगर क्यूं ? जिस तरह हारून की क़ुरबानी में देखा गया था कि गुनाह की क़ुरबानी जो किसी शख्स के गुनाह के इवज़ मे दी जाती थी तो उसको बे ऐब होना ज़रूरी था I मगर यह ख़ादिम ख़ुद अपनी क़ुरबानी पेश करेगा तो वह किसके गुनाह के लिए कुरबानी पेश करेगा ? इसपर गौर करते हुए कि उस का खून कई एक क़ौमों के लिए छिड़का जाएगा इस का मतलब यह है कि वह दूनया के तमाम लोगों के गुनाह के लिए जिस तरह ऊपर ज़िकर किया गया है छिड़का जाएगा I
11 वह अपने प्राणों का दु:ख उठा कर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा।
यसायाह 53:11
हालांकि इस ख़ादिम की नबुवत यहाँ डरावना है यह आवाज़ बदलती है यानी कि ख़ुश उम्मीदी मे बदल जाती है यहाँ तक कि फ़ातिहाना भी है I (इस शादीद दुख के बाद ख़ादिम ‘ज़िंदों की ज़मीन पर से’ काट डाला जाएगा I और ‘एक क़बर’ का इंतिज़ाम होगा) और यह ख़ादिम ‘जिंदगी का नूर’ देखेगा , मतलब यह कि वह जिंदगी में वापस आएगा! और इस तरह करते हुए वह ‘बहुतों’ का ‘इनसाफ़’ करेगा I
‘इंसाफ़ करना’ बिलकुल वैसा ही है जैसे किसी को ‘रास्तबाज़’ ठहराना I याद रखें कि मूसा की शरीअत में किसी को रास्तबाज़ ठहराने का मतलब था कि एक शख्स को हमेशा तमाम अहकाम की पाबंदी करनी पड़ती थी जिस तरह हम ने निशानी 2 में हज़रत इब्राहीम की बाबत देखा कि हज़रत इब्राहीम ख़ुदा पर लाए और वह उन के लिए रास्तबाज़ी ठहराया गया I उनको यूंही रास्तबाज़ी अता की गई I क्यूंकी उन्हों ने ख़ुदा पर पूरा भरोसा किया था I बिलकुल इसी तरह यह ख़ादिम बहुतों को रास्तबाज़ ठहराएगा I क्या यह रास्तबाज़ी वही नहीं है जो हम चाहते थे ? और जिसकी हमको ज़रूरत थी ?
12 इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूंगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बांट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है॥
यसायाह 53:12
यह ख़ादिम ‘बड़े लोगों’ (दौलतमंदों) में गिना जाएगा क्यूंकि उसने ख़ुद को रज़ाकाराना तोर से पेश किया है यानी अपनी ज़िंदगी को (‘उंडेला’) है मतलब यह कि ज़िंदगी से मौत की तरफ़ I और इस बतोर मरा जैसे कि एक ‘ख़ताकार’ यानी कि एक ‘गुनाहगार’ मरता है I क्यूंकि इस ख़ादिम ने ‘ख़ताकारों’ के लिए ‘शिफ़ाअत’ की है I और आप जानते हैं कि शिफ़ाअत करने वाला या दरमियानी दो जमाअत के बीच एक बीचोया बनता है I यहाँ दो जमाअत का मतलब एक तरफ़ दुनिया के बहुत से लोग और दूसरी तरफ़ ख़ुदावंद ख़ुदा I यह ख़ादिम ख़ुद अल्लाह कि जानिब से इस क़ाबिल है कि गुनहगारों कि शिफ़ाअत करे या उन की हिमायत करे !
यह ख़ादिम कौन है ? यह सारी बातें कैसे वाक़े होंगी? क्या वह बहुतों की बाइस कई एक अक़वाम की ख़ुद अल्लाह से शिफ़ाअत करेगा ? हम आख़री नबुवत पर गौर करते हुए ज़बूर को ख़त्म करते हैं और इंजील को खोलते हैं I